वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं है उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव...क्योकि, लखनऊ और दिल्ली के चुनाव से भी ज्यादा दिलचस्प होता है निकाय का दंगल...पहले आरक्षण की अधिसूचना और अब तारीखों के ऐलान के साथ ही निकाय का बिगुल बजा गया है, यूपी में 4 मई 11 मई को दो चरणों में मतदान होंगा और नतीजे 13 मई को घोषित किए जाएंगे...। उत्तर प्रदेश की 762 नगरीय निकाय में से 760 निकायों में चुनाव हो रहे हैं, जिसमें 17 नगर निगम महापौर, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटें शामिल हैं...बीजेपी नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती रही है और सरकार में रहते हुए, बीजेपी पर बेहतर बड़ा दबाव है. बीजेपी ने पिछले नगर निगम चानाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया था, हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत में प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था...इस बार बीजेपी ने सभी 17 नगर निगम में अपना मेयर बनाने के प्लान बनाया है..। पिछले निकाय चुनाव में सपा का कोई मेयर नहीं बना था...और इस बार अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव की जोड़ी साथ है तो दोनों का पहला बड़ा इम्तिहान है, हालांकि, सपाई खेमे से EVM को लेकर सवाल उठने लगे हैं...। बीते चुनाव में अलीगढ़ और मेरठ की मेयर सीट पर कब्जा जमा चुकी, बसपा के सामने इस जमीनी चुनाव में खुद को साबित करने की दोहरी चुनौती है...विधानसभा चुनाव में मात्र 1 सीट वाले शर्मनाक प्रदर्शन के बाद, चुनावी अखाड़े में बसपा की भी ये पहली परीक्षा है...इधर मायावती ने भी EVM के बजाए बैलेट से चुनाव की मांग की है...। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ भी केवल 2 सीट और करीब 2 प्रतिशत वोट आया था...अब निकाय के रण में 2024 से पहले कांग्रेस के लिए करो या मरो के हालात हैं...। बहरहाल, छोटे दलों का भी बड़ा रोल है निकाय चुनाव में, वहीं आम आदमी पार्टी, JDU और सुभासपा सरीखे दलों ने भी इस दंगल को दिलचस्प बना दिया है...2024 के चुनाव से पहले यूपी निकाय चुनाव सभी दलों के लिए सेमीफाइनल सरीखा है....ऐसे में सवाल ये है कि, किसका पलड़ा कितना भारी है...?