मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों की लड़ाई अब सियासी हो चुकी है. पहलवानों के इस मंच को कुछ सियासी दल सियासी अखाड़ा बनाने में जुटे है. उन्होंने अपना इसे एंटी-बीजेपी एजेंडा प्रमोट करने का मंच बना लिया है. इसी साल जनवरी में जब ये पहलवान पहली बार पर धरने पर बैठे, तब उन्होंने किसी सियासी पार्टी या नेता को मंच के पास फटकने नहीं दिया था. लेकिन इस बार मंच पर राजनीतिक दलों के नेताओं की भरमार है. शनिवार को भी नेताओं का जमावड़ा रहा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी हरियाणा से पार्टी के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर पहुंचीं. केजरीवाल और वाड्रा, दोनों ने ही पहलवानों का साथ देने की बात तो कही मगर बीजेपी सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूके. बॉक्सर विजेंदर सिंह भी इनके समर्थन में शनिवार को धरने पर बैठे. ऐसे में पहलवानों को भी ये डर सता रहा है कि इतना संवेदनशील मुद्दा कहीं सियासत की भेंट न चढ़ जाए. कहीं बड़ी सियासी लड़ाई में पहलवान प्यादा न साबित हों, इसकी चिंता हो रही है. तोक्यो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले बजरंग पूनिया, ओलिंपियन विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने सार्वजनिक रूप से इसके खिलाफ अपील की है. शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूनिया ने कहा, 'कुछ लोग धरना स्थल पर आ रहे हैं और हमारे आंदोलन को 'भड़काऊ आंदोलन' बताकर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं ऐसे लोगों से अपील करता हूं कि इसे राजनीतिक रंग ना दें.