देश का वो मशहूर जिसने उर्दू शायरी को एक अलग मुकाम तक पहुंचाया. जो शायरी कभी तवायफों के कोठों में गूंजती थी उसे मां की दहलीज तक पहुंचाया. शायरी में फखत हिंदी और अवधी का इस्तेमाल किया. उनकी शायरी इतनी सहज थी जिससे युवा खुद को जोड़ पाए. उनका जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. मुनव्वर अली से मुनव्वर राणा बनने की कहानी काफी दिलचस्प रही. उस दौर में जब शायरी महबूबा की जागीर थी, मुनव्वर राणा ने मां पर शायरी लिखकर बड़े-बड़े धुरंधरों को चौंका दिया.