2024 के चुनावी दंगल से पहले...सभी दलों ने अपने दांव-पेंच चलने शुरु कर दिए हैं...इसी कड़ी में दलितों का दिल जीतने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांशीराम की मूर्ति का अनावरण किया...यहां तक तो सब ठीक रहा, लेकिन इसके मंच से स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो पुराना नारा दोहराया...उस पर नया संग्राम शुरु हो गया है।रामचरितमानस की चौपाईयों पर विवाद का केंद्र बि्दु रहे मौर्या पर, इस नारे को लेकर भी मुकदमा दर्ज हो गया है। वहीं कांशीराम की सियासी विरासत और दलित वोटों को सहेजने का बड़ा संघर्ष करने वाली बसपा सुप्रमो मायावती ने भी इस नारे पर नाराजगी जता दी। सपा प्रमुख की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है। वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है और तो और मायावती ने अयोध्या, श्रीराम मन्दिर व अपरकास्ट पर भी बसपा का पक्ष साफ करते हुए सधा हुआ संदेश भी दे दिया। इसी क्रम में उस दौरान अयोध्या, श्रीराम मन्दिर व अपरकास्ट समाज आदि से सम्बंधित जिन नारों को प्रचारित किया गया था वे बीएसपी को बदनाम करने की सपा की शरारत व सोची-समझी साजिश थी। अतः सपा की ऐसी हरकतों से खासकर दलितों, अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज को सावधान रहने की सख्त जरूरत।अपने-अपने दांव और दावों की इसी कड़ी में, एक दांव बीजेपी ने भी चला है...मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण सम्मान देकर यादव समाज को खास संदेश देने की कवायद की है...।